बड़े- बडे़ क्रिमिनल्स और घूसखोरों को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले रिपोर्टर और सब-एडिटर्स आज कल जब तब जमीन पर नजर आ रहें हैं। ये सिलसिला सिर्फ इन्ही तक सीमित नहीं है, इसमें आिफस का एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ भी शामिल है। 1 मिनट आप कुछ और तो नहीं सोच रहे, अगर सोच रहें तो अपने दिमाग को थोड़ा विराम दें और आंखो को आगे के मैटर पर दौड़ाए।
हुआ यूं कि तीन साल आिफस का बोझ उठा रहीं वहां की कुर्सियां अब जवाब देने लगीं हैं। उस पर भी लोगों को उन पर रहम नहीं आता पूरे दिन का गुस्सा बेचारी उन कुर्सियां पर उतारा जाता है। आए और पूरे जोश के साथ खुद को उन बेचारी कुर्सियों पर दे मारा। आखिर वे ये सब कब तक सहती सो उन्होनें भी सबक सिखाना शुरू कर दिया। कभी इसको पटकती हैं तो कभी उसको लेकिन फर भी ना लोगों का जोश कम हो रहा है और ना लोगों का आए दिन लोगों का गिरना। समझो उन बेचारी कुर्सियों की पीढ़ा को क्योंकि अगर अभी-भी नहीं समझे तो वे आपको पीढ़ा देने लगेंगी।
धन्यवाद !
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