सोचा था गणतंत्र दिवस की सुबह मेरे विश्वाविद्यालय में होगी लेकिन अफसोस हमेशा देर से चलने वाली रेलगाड़ी समय पर चली गई और मैं झांसी में ही रह गया. लेकिन इसी बहाने मुझे मौका मिला झांसी पुलिस लाइन की परेड में शामिल होने का. परेड तो अच्छी रही लेकिन एक बात जो मुझे थोड़ी अजीब लगी कि दिल्ली हो या कोई छोटा कस्बा इन राष्ट्रीय त्योहारों में बुलाए जाने वाले माननीय नेतागण अपनी राजनीति और नेतानगरी को चमकाना यहां भी नहीं भूलते. भाषण के दौरान नेता जी ने अंबेडकर से लेकर मायावती की पूरी योजनाएं जो हैं या नहीं हैं सभी का गुणगान कर डाला. लेकिन बेचार जहां पर आकड़ों की बारी आती उनकी जबान अटक जाती लगता है नेता जी की गणित कमजोर थी, तभी नेता बन गए कितने अंदर कितने बारह इसका कोई अंदाजा ही ना लगे. खैर गणतंत्र दिवस की हार्दिक सुभकामनाएं
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