बुधवार, 9 मार्च 2011

चोर मचाए शोर, घोटालेबाज खामोश

हजारों करोड़ों के घोटालों के देखकर मोहल्ले के चुरकाटों में खलबली मच गई, छन्ने भईया इ बात सही नहीं है, बहुत नाइंसाफी है, हम िकसी की पॉकेट मारे तो इ खाकी चीटे ससुरे कुत्ते की तरह मारत हैं और जो देश के गरीबन का करोड़ो रुपया खा कर बैठे हैं उनका पीटना तो दूर एफआईआर भी ना दर्ज होत है जांच तो ऐसे बईठत है िक वा बईठ के ही रहि जात है खड़े होन का नाम ही ना लेत है,
अरे शांत हो जा,,,छन्ने नेता ने ‘छोटे’(ट्रेनी पाकेटमार अभी हाल ही में जेल से छूटा है) को शांत कराते हुए,,
यही के मारे इ सभा बुलाई है आखिर बिरादरी की नाक का सवाल है, हम समाज सेवक है, लेकिन इ घोटाले बाज तो देश की लुटिया ही डुबाने मा तुले हैं और बदनामी हमारे माथे मड़ रहे हैं,
( थोड़ी ही देर में कुछ पत्रकार वहां पहुंच गए )
आइये आइये पत्रकार भईया लोग हम आपका का ही इंतजार कर रहे राहय,

पत्रकार: हां तो क्या समस्या है आपकी?
छन्ने: भाई समस्या बड़ी गम्भीर है, उ का है कि देश में हो रहे इ घोटालन से हमार बिरादरी बड़ा परेशान है,

पत्रकार: वो क्यों?
छन्ने: भईया पहिला तो ये कि इ हाइप्रोफाइल चोर गरीब जनता का पईसा लूट रहे हैं और दूसर ये कि हमार सरकार बजाए कि कउनौ करवाई करन के जांच बईठाल देत हैं जो कबहूं खड़े होने का नाम ही नहीं लेत है,

पत्रकार: लेकिन चोरी तो आप भी करते हैं? ि‍फर उनसे इतनी नफरत क्यों ? आखिर हैं तो वो आपकी ही बिरादरी के ना,
छन्ने: नहीं साहब हममे और उनमें बहुत फर्क हैं हम चोरी समाज सेवा के ि‍लए करत हैं, और उ देश को लूटन के िलए.

पत्रकार: समाज सेवा? वो कैसे?
छन्ने: साहब हम कबहूं कउनौ गरीब या भिखारी को नहीं लूटत हैं लेकिन उ तो उनके ि‍लए आने वाले पईसा को भी नहीं छोडत, दूसरा हम समाज में पईसा को बराबर बांटन मा विश्वास रख्ा्त हैं जहां पईसा ज्यादा हो हुआ से हटा कर खर्च कर दो, आखिर इकोनॉमिक थोड़ी बहुत हमका भी आत है, पैसा रख्खन की चीज थोड़े ही ना है ओखा तो खर्च करो चाहि ता कि उ आगे बढ़त राहे और देश का बिकास हो,

पत्रकार: लेकिन किसी की सम्पीत्ति को लूटना कहां तक सही है?
छन्ने: महोदय आप फिर गलत बात बोल रहे हैं हम समाज सेवा करत हैं अगर हम अपने लिए करते तो कब का टाटा बिड़ला बन गए होते हम तो जईसन पहिले राहें वइसै आजहू हैं,

पत्रकार: अगर यह समाज सेवा है तो आप लोग खुलकर सामने क्यों नहीं आते?
छन्ने ने बोलन चाहा लेकिन छोटे बीच में ही बोल पड़ा: ये हीरोगिरी हमका नहीं करनी है, राजन का फोटो पेपर में छपा देखकर लल्लू को बड़ा शौक चढ़ा था अखबार में छपन का, एक बार हथ्थे चढ़े हैं खाखी चीटों के, तब से घर पर पड़े हैं और तो और कहीं कउंनौ चोरी हुई जाए चीटे वही का उठा ले जात है, और ठोक ठाक के वापस कर जात हैं,,,,,,,, अरे शांत हो जा छोटे,, छन्ने बोलकर पत्रकार की तरफ

पत्रकार: खाकी चीटे,,,,,!
छन्ने: अरे वही खाकी वर्दी वाले जिनका आप लोग पुलिस काहत हैं, ससुरन को जरा सा गुड़ ( घूस ) डाल देव तो तुमका छोड़ सबके सब गुड मा लाग जहियें फिर चाहे कउंनौ का मरडर काहे ना हुई जाए:

पत्रकार: तो आप लोग की समस्या क्या है?
छन्ने: साहब पहिले तो आप से एक रिकवेस्ट है कि हमारी छवि को खराब ना किया जाए, हम समाज में बराबरी लाने का प्रयास कर रहें हैं और आप लोग हैं कि हमार छवि बिगाड़न मा लगे हैं, आखिर धरा हुआ पईसा केखे काम आया है, हम तो उ पईसा को निकालकर बाहर ला रहे हैं ताकि वह लोगों के काम आ सके, असल दुश्मन तो इ घाटालेबाज हैं जो पइसा चुराकर बिदेश मा जमां कर देत हैं, अब आप ही बताओ देश का पईसा देश में रहब ठीक है या बिदेश मा ?
छन्ने में प्रश्नरवाचक नजरों से पत्रकार की ओर देखा, बाकी आप लोगन का हिया आवैं का बहुत बहुत धन्येवाद !!!