बुधवार, 6 अप्रैल 2011

थैंक्यू पूनम पांडे

क्रिकेट वर्ल्ड कप का अगर किसी ने पूरा फायदा उठाया तो वो हैं पूनम पांडे। एक स्टेटमेंट और पूरा मी‍डिया ही नहीं वर्ल्ड कप के दीवाने भी टीम इंडिया के जीतने का इंतजार करने लगे। करते भी क्यों ना पूनम पांडे जो अपनी खुशी कपड़े उतार कर जाहिर करने वाली थी । वैसे देखा जाएं तो उतारने के िलए कुछ खास है नहीं उनके पास।लेकिन इंडिया ने मैच क्या जीता पूनम पांडे को मानों सांप सूंघ गया। वह किस बिल में छिप गई इसका पता नहीं चला। मीडिया के सर से जैसे ही वर्ल्ड कप भूत उतरा उन्हें नया बकरा चाहिए था तो लग गई पूनम पांडे के पीछे आखिर पूनम पांडे सामने आई लेकिन पूरी तैयारी के साथ कि सांप भी मर जाएं और लाठी भी ना टूटे। पूनम पांडे ने कहा कि वह अपने वादे से नहीं डिगेंगी और इसके लिए उन्होंने बीसीसीआई को पत्र भी लिखा है कि उन्हें ऐसा करने की परमिशन दी जाएं । जाहिर सी बात है कि ना तो बीसीसीआई ऐसा करने की उन्हें प‍रमिशन देने वाली है और ना ही वह कपड़े उतारने वाली हैं। ये तो वही बात हो गई कि ना नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।
खैर पूनम पांडे के कपड़े उतरे या ना उतरे भारतीय टीम को इसका फायदा जरूर मिला। जो लोग उसके समर्थन में नहीं भी थे वह भी उसके जीतने की दुआ करते नजर आएं और जब इतनी दुआएं टीम इंडिया के साथ थी तो भला वो हार कैसे सकती थी। इसके लिए भारतीय टीम ही नहीं भारतीय जनता को भी पूनम पांडे को धन्यवाद देना चाहिए।

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

ufffff...! ये Facebook

मेरे एक मित्र हैं फेसबुक के बहुत बड़े फैन हैं। हालत यह है कि सुबह फेसबुक, शाम फेसबुक, दो‍पहर फेसबुक, रात फेसबुक, फेसबुक, फेसबुक और फेसबुक। फोन करो तो, यार फेसबुक पर आओ वहीं चैट कर लेते हैं। कहने को बैचलर हैं लेकिन अगर शादियां फेसबुक पर होने लगती तो अब तक रावण और कृष्ण भगवान की सैकड़ों बीवियां होने का रिकॉर्ड टूट गया होता।
बेचारे आजकल बड़े परेशान हैं। फेसबुक में कुछ अगड़म बगड़म हो गया है। उनके फेसबुक खाते में कुछ तकनीकी दिक्क्त आ गई है। ना मैसेज बॉक्स काम कर रहा है और ना ही चैटिंग। उनके उपयोग के दोनों जरूरी फीचर उनके खाते से नदारद हैं। ना जाने कितने मेल फेसबुक वालों को चिपका मारे लेकिन वहां तो कोई सुनने वाला है नहीं। परेशान होकर मुझे फोन किया हाल चाल पूछा और पहुंच एक प्वॉइंट की बात पर। यार ये फेसबुक वाले तो भारत सरकार से भी ज्यादा नकारे हैं सुनते ही नहीं है कब से दिक्कात आ रही है फेसबुक में, उन्हें समझ में ही नहीं आ रही है। कितने मेल किए ना कोई जवाब ना कोई कार्यवाही। उनकी परेशानी मुझसे देखी नहीं जाती बेचारे कब से फेसबुक वियोग में तड़प रहें हैं अगर आपके पास कोई सुझाव हो तो जरूर बताएं ……….
और अगर आप भी किसी पीढ़ा में है तो वहीं बता दीजिए,,कम से कम उन्हें एक साथी तो मिलेगा।