महंगाई अपने चरम पर है। कांग्रेस का हाथ अब आम आदमी के सर से फिसल कर उद्योगपतियों और घोटालेबाजों के कंधों पर आ गया। पीएम मनमोहन सिंह अब जनता के सवालों के जवाब देने में भी लाचार नजर आ रहे हैं, और तो और अब वे इसे खुले आम स्वींकार चुके हैं कि महंगाई और भ्रष्टाचार ने उनकी सरकार की छवि को देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल किया है। एक प्रधानमंत्री होने के नाते अगर वे जनता की समस्याओं को नहीं समझ सकते तो उन्हें कोई हक नहीं बनता कि वह इस पद पर रहें। सिर्फ गलती स्वीकारने भर से वह अपने कर्तव्य से बच नहीं सकते। ताज्जु्ब की बात तो यह हैं कि एक देश का मुखिया बजाए कि कोई कार्यवाही करने के सिर्फ अपनी सरकार की कमजोरियों को गिना रहा है जबकि उसके पास पूरे अधिकार हैं कि वह इन घोटेलेबाजों को सजा दे। एक ओर जहां वह जनता के सामने अपनी गलतियों की माफी मांग रहे हैं वहीं दूसरी ओर अपराधियों को संरक्षण देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जिस मुद्रदे को लेकर कांग्रेस सत्ता में आयी थी वह तो कहीं रह ही नहीं गया। कांग्रेस के जिस हाथ को वह आम आदमी के साथ बात रहे थे अब वह कहां है जब जनता महंगाई के आगे घुटने टेके हुए है।
हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी आज भी एक दिन में इतना नहीं कमा पाती की वो भर पेट खाना खा सके। फिर प्रधानमंत्री को उन गरीबों का ध्यान क्यों नहीं आता जो किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं, ऐसी महंगाई में उनके पास एक ही विकल्प बचता है कि एक दिन ना खाकर दूसरे दिन खा लेंगे क्योंकि जितना वह कमाते हैं उससे वह इस महंगाई में हर दो दिन में एक बार ही खा सकते हैं। कमेटी और कानून बनाने से बेहतर होगा कि सरकार कोई ठोस कदम उठाए जिसका असर तत्काल प्रभाव से नजर आए।
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